✍️ लेखक: LokView संपादकीय टीम
🔷 परिचय
“एक देश, एक चुनाव” (One Nation, One Election) अब भारतीय राजनीति की सबसे चर्चित बहस बन चुकी है। सरकार और नीति-निर्माता इसे लोकतांत्रिक सुधार मानते हैं, जबकि कई विपक्षी नेता इसे केंद्र की सत्ता के केंद्रीकरण की कोशिश बताते हैं। आइए समझते हैं इसके संभावित लाभ और नुक़सान।
✅ इस पहल के संभावित फ़ायदे
- खर्च में भारी कटौती
हर राज्य और केंद्र के चुनाव पर अलग-अलग खर्च होता है। संयुक्त चुनाव से पब्लिक मनी की बचत हो सकती है। - प्रशासनिक लचीलापन
बार-बार आचार संहिता लगने से सरकारी योजनाएं प्रभावित होती हैं। इससे सुचारु शासन संभव होगा। - राजनीतिक स्थिरता
एक साथ चुनाव से लंबे समय तक राजनीतिक स्थिरता बनी रह सकती है, जिससे निर्णय प्रक्रिया तेज होगी।

❌ संभावित चुनौतियाँ और नुक़सान
- संघीय ढांचे पर असर
एक साथ चुनाव का अर्थ है राज्यों की स्वतंत्रता पर नियंत्रण। ये भारत के संघीय ढांचे के ख़िलाफ़ जा सकता है। - स्थानीय मुद्दों की अनदेखी
लोकसभा और विधानसभा चुनाव के मुद्दे अलग होते हैं। एक साथ चुनाव से स्थानीय विषय पीछे छूट सकते हैं। - तकनीकी और लॉजिस्टिक चुनौतियाँ
इतने बड़े पैमाने पर चुनाव कराना EVM और सुरक्षाबलों की भारी ज़रूरत पैदा करेगा।
📢 विशेषज्ञों की राय
कई संविधान विशेषज्ञ मानते हैं कि इसे लागू करने से पहले संविधान संशोधन और राजनीतिक सहमति बेहद ज़रूरी है।
🧩 निष्कर्ष
One Nation, One Election एक बड़ा राजनीतिक प्रयोग हो सकता है, लेकिन इसके लिए केवल सरकार नहीं, पूरे देश की लोकतांत्रिक सहभागिता ज़रूरी है।